Core Of The Heart
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क्या तू एक अल्पवय, अबोध बालक ,
और हम तुझे प्रदत्त क्षण – भंगुर मिट्टी के खिलौने हैं ?
तू है नटखट, चंचल प्रतिपल
और तेरे समक्ष हम बौने हैं ?
जब चाहे खेल लिया हमसे ,
जब चाहे फ़ेंक दिया |
अपना मन बहलाया हमसे ,
और हमें ही दर्द अनेक दिया |
तुने क्या सोंचा, हम तेरे हाथों में फंसे ,
तेरा विरोध क्या कर पायेंगे ?
मिट्टी से ही निर्मित, मिट्टी पर ही जीवित ,
फिर मिट्टी में ही मिल जायेंगे ?
मिटटी से निर्मित हम ,
पर फौलाद का आत्मविश्वास है |
मनुष्य हैं हम भी , सिर्फ आप नहीं ,
हमारे शरीर में भी लाल रक्त और अस्थियों का वास है |
किसी की खैरात नहीं ,
हमारे पास भी ईश्वर-प्रदत्त जान है |
तो क्यूँ हम किसी की गुलामी करें ?
जब हमारे पास भी जिंदगी और अरमान हैं |
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